दोन डोळे मत्सराचे हाय दिसती का मला ..[गझल]

वृत्त- देवप्रिया/कालगंगा 
लगावली- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा 
मात्रा- २६ 
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बोलतो मी जास्त जेव्हा चुप बसवती का मला
गप्प असतो मात्र तेव्हा बोल म्हणती का मला-

वाटते ना कायद्याची आजही भीती कुणा
लाच देता काम होते ते हुडकती का मला-

ओळखीचे चांगले ते समजुनी मी भेटता
विसरुनी उपकार माझे दूर करती का मला-

सांगतो सर्वास माझी जात मी माणूसकी
घेउनी बाजूस कानी परत पुसती का मला-

चार येती कौतुकाचे शब्द कानी ऐकण्या
दोन डोळे मत्सराचे हाय दिसती का मला ..

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