वृत्त- देवप्रिया/कालगंगा
लगावली- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा
मात्रा- २६
---------------------------------------------------------------------------------------------------------
बोलतो मी जास्त जेव्हा चुप बसवती का मला
गप्प असतो मात्र तेव्हा बोल म्हणती का मला-
वाटते ना कायद्याची आजही भीती कुणा
लाच देता काम होते ते हुडकती का मला-
ओळखीचे चांगले ते समजुनी मी भेटता
विसरुनी उपकार माझे दूर करती का मला-
सांगतो सर्वास माझी जात मी माणूसकी
घेउनी बाजूस कानी परत पुसती का मला-
चार येती कौतुकाचे शब्द कानी ऐकण्या
दोन डोळे मत्सराचे हाय दिसती का मला ..
.
लगावली- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा
मात्रा- २६
---------------------------------------------------------------------------------------------------------
बोलतो मी जास्त जेव्हा चुप बसवती का मला
गप्प असतो मात्र तेव्हा बोल म्हणती का मला-
वाटते ना कायद्याची आजही भीती कुणा
लाच देता काम होते ते हुडकती का मला-
ओळखीचे चांगले ते समजुनी मी भेटता
विसरुनी उपकार माझे दूर करती का मला-
सांगतो सर्वास माझी जात मी माणूसकी
घेउनी बाजूस कानी परत पुसती का मला-
चार येती कौतुकाचे शब्द कानी ऐकण्या
दोन डोळे मत्सराचे हाय दिसती का मला ..
.
कोणत्याही टिप्पण्या नाहीत:
टिप्पणी पोस्ट करा